भारतीय रेलवे: पेंशन वित्त पर दबाव, फाइनेंस मिनिस्ट्री से मदद की आवश्यकता
रेलवे के वित्तीय संकटों की बढ़ती समस्या के चलते हाल के वर्षों में उसके रेवेन्यू (आय) पर गहरा असर पड़ा है। यह समस्याएँ मुख्य रूप से सातवें वेतन आयोग के प्रभाव को और तंगदस्तियों के कारण उत्पन्न हुई हैं। कोरोना महामारी ने भी रेलवे के लिए नए चुनौतियों का सामना करना पड़ा। विशेष रूप से कोरोना के प्रसार के समय में, ट्रेनों के संचालन को बंद करना पड़ा था, जिससे रेलवे की आमदनी पर भारी गिरावट हुई।
रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना के प्रसार से उत्पन्न लागत और आमदनी में गिरावट के संयोजन में रेलवे के नेट रेवेन्यू पर बुरा असर पड़ा है। इस परिस्थिति में रेलवे के पेंशन को देने में कठिनाइयाँ आई हैं और यह आवश्यकता है कि वह फिनेंस मिनिस्ट्री से मदद प्राप्त करें।
पिछले सप्ताह, संसद की एक स्टैंडिंग कमेटी ने रेलवे से उसके पेंशन योजनाओं के बारे में जानकारी मांगी थी और उसके द्वारा अब तक किए गए कदमों की समीक्षा की थी। रिपोर्ट के अनुसार, रेलवे ने यह दावा किया कि 2022-23 में उसने पेंशन के भुगतान को सफलतापूर्वक किया है, लेकिन उसे फिनेंस मिनिस्ट्री से थोड़ी मदद की आवश्यकता है।
फिनेंस मिनिस्ट्री के द्वारा पहले रेलवे के अनुरोध को ठुकराने के बाद, स्टैंडिंग कमेटी ने यह परामर्श दिया कि रेलवे को यह मुद्दा फिनेंस मिनिस्ट्री के सामने उठाना चाहिए। रेलवे ने बताया कि यह समिति ने पहले भी ऐसी सिफारिश की थी, लेकिन फिनेंस मिनिस्ट्री ने उसे माना नहीं था। इसके बावजूद, समिति ने फिर से इस मुद्दे पर विचार करने की विनती की।
रिपोर्ट के अनुसार, 2023-24 में रेलवे को पेंशन के रूप में 62,000 करोड़ रुपये का भुगतान करने की संभावना है, जबकि रेलवे ने इसके लिए 70,000 करोड़ रुपये का बजट बनाया है।
हाल के वर्षों में रेलवे की पेंशन देनदारी में वृद्धि होती रही है, जो हर साल उसके वित्त को और भी दबाव डालती है। रेलवे अपनी आय को मुख्य रूप से फ्रेट और पैसेंजर सेवाओं से प्राप्त करता है, जिनसे वह कर्मचारियों की तनख्वाह और पेंशन का भुगतान करता है।
परन्तु पिछले कुछ वर्षों में, रेलवे का रेवेन्यू बुरे तरीके से प्रभावित हुआ है। कोरोना महामारी के कारण लंबे समय तक ट्रेनों का संचालन बंद रहा, जिससे उसकी आमदनी में गिरावट हुई। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का पालन करने और कोरोना के प्रभाव से रेलवे के ऊपर अधिक दबाव बढ़ा है। कोरोना काल से पहले देश में लगभग 11,000 ट्रेनें रोज़ाना चलती थीं, लेकिन इस समय यात्रीगण को समेटने के लिए कई नियम लागू किए गए हैं, जिनमें बुजुर्ग यात्रीगण के लिए किराया में छूट भी शामिल है।
समर्थन समिति ने रेलवे के वित्तीय स्थिति के मामले में सतर्कता की आवश्यकता की है और उसने इस समस्या के समाधान के लिए सही कदम उठाने की आवश्यकता की बताई है। रेलवे को सुरक्षित और वित्तीय दृष्टिकोण से सुसंगत योजनाएँ बनाने की आवश्यकता है ताकि उसके कर्मचारियों की भविष्य की सुरक्षा और उनके पेंशन के प्रति विश्वास बना रह सके।