मैं अटल हूं: Pankaj Tripathi की शानदार अभिनय के बावजूद, राइटिंग में कमी
फिल्म ‘मैं अटल हूं’ में, पंकज त्रिपाठी ने अपनी अद्वितीय अभिनय कला के माध्यम से अटल बिहारी वाजपेयी के किरदार को जीवंत किया है। फिल्म के सारे मामले में उनका अभिनय प्रशंसनीय है, लेकिन यह तो कहना मुश्किल है कि फिल्म की कहानी सभी पर्दों पर छाई रहती है।
कहानी 1977 के इमरजेंसी के बाद की है, जब ‘जनता दल’ नामक पार्टी ने चुनाव जीता और इंदिरा गांधी को हराया। फिल्म के माध्यम से हम उस समय के राजनीतिक परिवर्तनों को देखते हैं, जिनमें अटल बिहारी वाजपेयी का बड़ा योगदान था।
फिल्म की लेखनी में कमजोरियों का सामना करना पड़ता है, और यह सामान्यत: कहानी को सुव्यवस्थित रूप से प्रस्तुत करने में असफल रहती है। फिल्म का नैरेशन भी देखने वाले को समझाने में कठिनाई महसूस कराता है, क्योंकि सूत्रधार कौन है, यह स्पष्ट नहीं होता।
फिल्म में अटल बिहारी वाजपेयी की व्यक्तित्व को बड़े पैम्फलेट्स की तरह छापने का प्रयास किया गया था, लेकिन कहानी के अन्य हिस्सों में ईमानदारी की कमी महसूस होती है।
फिल्म का प्रमोशन मटेरियल अटल के व्यक्तित्व पर जोर देने का दावा करता था, लेकिन फिल्म उन्हें उत्तरदाता रूप से पेश करने में असफल रही। फिल्म की कविताएं और नैरेशन ने कहानी को समझ